तमाशा मेरे आगे
Friday, May 22, 2015
तमाशा मेरे आगे
संस्कृति का भी अजब खेल है क्या जायजा है क्या नाजायज है यह समझना ........... कठिन है .......... मेरी कोशिस है की दुनिया बदले ...
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